शिवा भजन | भोले बाबा भजन | महादेव भजन लिरिक्स हिन्दीडम डम डम बम डमरू बजे डमरू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
डम डम डम बम डमरू बजे डमरू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
गहन गहन गहन गहन घंटा बाजे |
गहन गहन गहन गहन घंटा बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
गहन गहन गहन गहन घंटा बाजे |
गहन गहन गहन गहन घंटा बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
डम डम डम बम डमरू बजे डमरू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
बम बम बम बोलो
जय शिव शंकर
बम बम बम बोलो |
हर शिव शंकर |
बम बम बम बोलो |
जय शिव शंकर |
बम बम बम बोलो |
हर शिव शंकर |
डम डम डम बम डमरू बजे डमरू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
डम डम डम बम डमरू बजे डमरू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाजे |
अरे साई नाथ शिव शम्भू बाज |
साई नाथ साई नाथ साई नाथ |
साई नाथ साई नाथ साई नाथ |
साई नाथ साई नाथ साई नाथ |
साई नाथ साई नाथ साई नाथ |
क्यों कहते हैं शिव जी को भोले भंडारी ?
शिव जी को “भोले भंडारी” के नाम से भी पुकारते हैं , लेकिन क्यों ? कारन नाम से ही स्पष्ट है। शिव जी को भोले भंडारी के नाम से इसलिए जाना जाता है क्यों की वो अपने भक्तों पर बहुत दयालु हैं और जो उन्हें याद करते हैं, भले ही पूजा अर्चना ना ही करते हों, उन पर सदैव बाबा का हाथ होता है और वो उन्हें भी आशीर्वाद देते हैं। शिव जी की पूजा के लिए भी किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नहीं होती हैं। बाबा को मात्रा बेल पत्र और पानी से भी प्रशन्न किया जा सकता है। बाबा के भोले स्वाभाव के कारन ही शिव जी को भोले भंडारी कहा जाता है।
यहाँ ये भी दिलचस्प है की एक और तो शिवजी को सम्पूर्ण श्रस्टि का विनाश करने की ताकत रखने वाला और भूत प्रेत के साथ रहने वाला और शमशान निवासी बताया गया है और वही दूसरी और भक्तों के लिए बाबा भोलेनाथ भी हैं ?
भोलेनाथ का शाब्दिक अर्थ है बच्चे की तरह से मासूमियत रखने वाला “भोला ” . भक्तों के लिए बाबा के दिल में सदैव आशीर्वाद होता है और किसी तरह से अहंकार नहीं होता है।
क्या है कहानी बाबा के “भोलेनाथ” बनने की ?
बाबा के भोलेनाथ बनने के पीछे एक कहानी है। एक समय की बात है एक असुर जिसका नाम भस्मासुर था उसने बाबा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या शुरू कर दी। तपस्या भी ऐसी की उसने रात और दिन एक कर दिए। बाबा ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसके सामने आये और कहा की उसकी क्या मनोकामना है। इस पर भस्मासुर के बाबा से वरदान माँगा की उसे ऐसा वरदान दे की कोई भी उसे छूते ही भस्म हो जाए। बाबा ने दैत्य की इस मनोकामना को पूर्ण कर दिया। लेकिन असुर तो होते ही असुर हैं, भस्मासुर ने सोचा की क्यों ना शिव जी के वरदान की परीक्षा शिव जी से ही ली जाए और शिव जी के समाप्त होते ही उससे श्रेष्ठ इस संसार में कोई नहीं होगा।
भष्मासुर जब शिव जी की और उन्हें भस्म करने के लिए दौड़ा तो शिव जी भी आगे आगे दौड़ने लगे। भगवन विष्णु जी ने जब ये नजारा देखा तो तुरंत पूरा माजरा समझ गए और शिव जी की मदद के लिए उन्होंने मोहिनी का रूप धारण कर असुर का ध्यान अपनी और खींचा। अपने मोहक नृत्य से भस्मासुर का हाथ उसके ही सर पर रखवा दिया जिससे भस्मासुर भस्म हो गया। ये उदहारण है की शिव जी कितने भोले स्वभाव के हैं। यही कारन हैं की भगवन शिव जी को भोले नाथ के नाम से पुकारा जाता है।
क्या महत्त्व है कावड़ का : मान्यता है की सर्वप्रथम भगवान् परशुराम ने अपने आराध्य देव श्री शिव के गंगा जल का कावड़ लाकर पूरा महादेव में प्राचीन शिव लिंग का जलाभिषेक किया था। परशुराम ने पुरे विश्व कर विजय हासिल करने के बाद (दिग्विजय के बाद ) मेरठ के पास पूरा नाम के स्थान पर विश्राम किया। यह स्थान उन्हें विश्राम करने के लिए अत्यंत ही मनमोहक और शांत प्रतीत हुआ। मान्यता है की परशुराम ने यहाँ श्री शिव मंदिर बनाने का सकल्प लिया और पत्थर लाने के लिए गंगा तट पर गए और जब वे वहां से पत्थर लाने लगे तो पत्थर रोने लगे क्यों की वे गंगा माता से अलग नहीं होना चाहते थे। तब परशुराम ने उनसे वादा किया की मंदिर निर्माण में काम आने वाले पत्थरों का चिरलकाल तक गंगा जल से अभिषेक किया जायेगा।
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